कई बार ऐसा होता है कि हम अपने दिल की बात किसी से कह भी नहीं पाते और दबी जुबां बस यही सोचा करते कि,काश हम अपने दिल की बात कह गए होते,बस उन्हीं जज्बात को शब्दों में पिरोकर यहां सहेजे हुए हैं,हम हमेशा से अपनी भावनाओं को लोगों के सामने रखने से डरते आए हैं,बस ये सोचकर कि पता नहीं लोग क्या सोचेंगे...लेकिन कब तक..और आखिर में थाम लिया इस गुमनाम गलियारे का सहारा.....वैसे भी अंधेरी गलियों में लोगों का आना जाना कम होता है..लेकिन आप जो कोई भी आएंगें इस गलियारे में,तहे दिल से स्वागत एवं आभार...Anjel
शनिवार, 22 अगस्त 2009
अब तुम कहो...
अब हम नहीं रहे तुम्हारे, पर तुम अब भी हो हमारे, तुमने कहा हमसे भुला दें तुम्हें लो अब हमने भुला दिया तुम्हें पर ये तो बता दो हमें हमने तो कुछ कहा नहीं तुमसे अब तुम कहो क्या हमें भुला दिया तुमने?
6 टिप्पणियां:
भुलाने की हर कोशिश नाकामयाब रही होगी
बहुत सुंदर
भुलाने की हर कोशिश नाकामयाब रही होगी
बहुत सुंदर
क्या बात है, लाजवाब रचना। बधाई
सही है!
बहुत सुंदर भुलने भुलाने वाली बाते।
गणेशचतुर्ती पर हार्दिक मगलकामनाऍ।
आभार!
यह पढने के लिये किल्क करे।
हिन्दी ब्लोग जगत के चहूमुखी विकास की कामना सिद्धिविनायक से
मुम्बई-टाईगर
SELECTION & COLLECTION
अच्छी है, सरल सीधी उतरती हुई.
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