मंगलवार, 25 अगस्त 2009

आखिर क्यूं...???

तन्हाई में अक्सर
'तुमसे' बात किया करते हैं।
क्यूं करीब नहीं, दूर हो हमसे
किस्मत पर नाराज हुआ करते हैं।

साथ गुजारे हर लम्हों की
ख्यालों में जिक्र किया करते हैं।
क्यूं खामोश रहे तेरे प्यार में
खुद से शिकायत किया करते।

चाहा कि भूला दूँ तुम्हें
पागल दिल को समझा लिया करते हैं
क्यूं अबतक प्यार है तुमसे
आज भी सवाल किया करते हैं।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई!

Unknown ने कहा…

बहुत ख़ूब.........
उम्दा.........
बधाई !

Vipin Behari Goyal ने कहा…

भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति


तेज धूप का सफ़र

M VERMA ने कहा…

साथ गुजारे हर लम्हों के
ख्यालों में जिक्र किया करते हैं।
खयाल ही तो है जो खयालों को जिन्दा रखते हैं
सुन्दर अभिव्यक्ति