कई बार ऐसा होता है कि हम अपने दिल की बात किसी से कह भी नहीं पाते और दबी जुबां बस यही सोचा करते कि,काश हम अपने दिल की बात कह गए होते,बस उन्हीं जज्बात को शब्दों में पिरोकर यहां सहेजे हुए हैं,हम हमेशा से अपनी भावनाओं को लोगों के सामने रखने से डरते आए हैं,बस ये सोचकर कि पता नहीं लोग क्या सोचेंगे...लेकिन कब तक..और आखिर में थाम लिया इस गुमनाम गलियारे का सहारा.....वैसे भी अंधेरी गलियों में लोगों का आना जाना कम होता है..लेकिन आप जो कोई भी आएंगें इस गलियारे में,तहे दिल से स्वागत एवं आभार...Anjel
मंगलवार, 18 अगस्त 2009
ये किसने सोचा था...
ये किसने सोचा था कमबख्त ये दिल तुम पर आएगा हम तो बेफिक्र थे कि तुमसे और प्यार हमें कतई नहीं होगा लेकिन वक्त का तकाजा तो देख प्यार हुआ तो तुम्हीं से ये किसने सोचा था अब से लबों पर सिर्फ तेरा ही नाम आएगा
7 टिप्पणियां:
वक्त का तकाजा ही सही किसी का नाम तो लबों पे आ तो गया। सुन्दर भाव।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
सुन्दर******
bahut hi sundar bhaaw hai ....aisa hi hota manaw jiwan pyaar dene ka nam hai manaw man pyar se khali nahi rah sakata ..........atisundar
ये किसने सोचा था
अब से लबों पर
सिर्फ तेरा ही नाम आएगा
अति सुन्दर भाव
kya khoobsurat abhivyakti hai aapki.bahut pasand aayi
आप सभी इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें..
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
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