शुक्रवार, 1 जून 2012

मोहब्बत

निगाहों में उनकी एक आस थी
जुबां पर नहीं, दिल में कोई बात थी
न समझने की गलती फिर की मैंने
लेकिन लबों में उसके शिकवा नहीं
मेरे लिए कायनात की मोहब्बत थी ।
चाहा इजहार करूं  उनसे मोहब्बत की
पर रोक लिया लब्जों को लबों पे
जाने दो यारों बेकरार इकरार को
पता तो चले दिल टूटने का दर्द 'एंजेला'
मोहब्बत  दो दिलों की प्यास थी।


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