कई बार ऐसा होता है कि हम अपने दिल की बात किसी से कह भी नहीं पाते और दबी जुबां बस यही सोचा करते कि,काश हम अपने दिल की बात कह गए होते,बस उन्हीं जज्बात को शब्दों में पिरोकर यहां सहेजे हुए हैं,हम हमेशा से अपनी भावनाओं को लोगों के सामने रखने से डरते आए हैं,बस ये सोचकर कि पता नहीं लोग क्या सोचेंगे...लेकिन कब तक..और आखिर में थाम लिया इस गुमनाम गलियारे का सहारा.....वैसे भी अंधेरी गलियों में लोगों का आना जाना कम होता है..लेकिन आप जो कोई भी आएंगें इस गलियारे में,तहे दिल से स्वागत एवं आभार...Anjel
बुधवार, 13 अप्रैल 2016
दिल से
हमें गुमां था उसके दिल जीतने का
वो तो पहले ही दिल हारे बैठे हैं !!!
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