( किसी को भूलना जिससे आप बहुत प्यार करते हो...लेकिन कभी कभी जिंदगी ऐसी करवट लेती है कि आपको मजबूर होकर भूलाना पड़े तो कितना मुश्किल है....)
दिल को कैसे मनाएं
दिल को कैसे समझाएं
तेरी याद जाती नहीं
तेरा प्यार हटता ही नहीं
तुम्हें भूल पाना अब हमारे बस में नहीं.......
तुम कहते हो भूल जाऊं तुम्हें
पर तुम चाहते नहीं मैं भूला दूं तुम्हें
तुम कहते दूर हो जाऊं तुझसे
पर तुम चाहते नहीं दूर हो जाऊं तुमसे
न जाने ये कैसी कसमकश है
जब दिल चाहता कुछ औऱ है
पर करना पड़ता कुछ औऱ है...........
दिल को क्या बताएं
दिल को क्या सुनाएं
ये दिल तो दिल के हाथों खुद मजबूर है
जो कहता है मुझसे
तुम्हें भूल पाना अब हमारे बस में नहीं है....
7 टिप्पणियां:
सुन्दर पंक्तियॉं, धन्यवाद.
दिल तो दिल के हाथों खुद मजबूर है!
क्या बात है !! क्या अंदाज़ है !बहुत खूब !
इस पोस्ट को पढवाने के लिए आभार !
रक्षाबंधन की ह्र्दयंगत शुभ कामनाएं !
समय हो तो अवश्य पढ़ें:
यानी जब तक जिएंगे यहीं रहेंगे !http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html
सुंदर भाव .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!
बढ़िया.
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत ही उम्दा प्रस्तुति , रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
अच्छे लगे आपके जज्बात , बढिया रही प्रस्तुति ।
bahut badhiya likhati hai....sundar rachna.
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