रविवार, 24 जनवरी 2010

अच्छा लगता है मुझको...

(कभी कभी जिंदगी में कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो हमें अच्छी लगती है बस उसी पर ये नजराना)

तेरा पास आना
पास आकर के गुजर जाना
अच्छा लगता है मुझको ।
तेरा नजर मिलाना
नजरें मिलाके नजर चुरा जाना
अच्छा लगता है मुझको ।
तेरा मुस्कुराना
मुस्कुराके चले जाना
अच्छा लगता है मुझको ।
तेरा दूर जाना
दूर जाके प्यार अपना जताना
अच्छा लगता है मुझको ।
तुम्हें बहुत कुछ है अभी बताना
कुछ नहीं बता के आंखों से कह देना
अच्छा लगता है मुझको ।
तुम्हारा मेरा कोई न होना
कुछ न होकर भी बहुत कुछ होना
अच्छा लगता है मुझको।
बस अब और क्या कहूं
सब बातों को सोचके
सोचकर वक़्त बिताना
अच्छा लगता है मुझको।

5 टिप्‍पणियां:

डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedi ने कहा…

अच्छी रचना.
धन्यवाद.

बेनामी ने कहा…

तुम्हारा मेरा कोई न होना
कुछ न होकर भी बहुत कुछ होना
अच्छा लगता है मुझको।
प्यारी से रूहानी कविता, सीधे-सीधे और साफ़-साफ़ मन की बात कह देना अच्छा लगता है हमको

nilesh mathur ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर!

nilesh mathur ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर!

arvind ने कहा…

बहुत सुन्दर!