(हर कोई मुझसे कहता कि मैं बहुत कमजोर हूं। दिल को दुखाने वाली हर छोटी छोटी बातों को लेकर रो पड़ती हूं। मेरे दिल के करीब रहनेवाले सभी यही कहते कि मैं बेवकूफ हूं जो हर किसी के लिए आंसू बहाती हूं। उनका कहना है कि मुझे उनके लिए आंसू बहाना चाहिए जो मेरे अपने हों । लेकिन मैं ये कैसे साबित करुं कि चाहे कोई वो मेरे अपने हों या पराए जब भी मेरा दिल दुखता है तो आंसू अपने आप झरने लगते हैं जिनको चाहकर भी मैं रोक नहीं पाती।)
कौन कहता है कि रोना हमें पसंद है
हां हमें रोना पसंद है, पर ये आंसू नहीं
लेकिन कमबख्त नालायक आंसू
हर छोटी छोटी बातों का संदेशा ले आती
मेरे मासूम से चेहरे को और भी दर्द दे जाती
ये बेमतलबी आंसू हर जगह मुझे कमजोर बनाते हैं
लोगों को बोलने का मौका मिल जाता
रोनेवाली बात ही नहीं फिर तुम रोती क्यों हो
अब मैं हर किसी को कैसे समझाऊं
दर्द देनेवाली हर छोटी बात
मेरे लिए एक बड़ी बात है
जो मेरे जेहन से होकर दिल को छूती है
और दुख के दरिया में आंसूओं का सागर
मेरे चेहरे पर आ मिलता है......
5 टिप्पणियां:
आँसू का रोक पाना भी बड़ा मुश्किल होता है..बढ़िया रचना..
एक संवेदनशील हृदय के उदगार!!
जो मेरे जेहन से होकर दिल को छूती है
और दुख के दरिया में आंसूओं का सागर
मेरे चेहरे पर आ मिलता है......
अच्छी रचना है शुभकामनायें
रोना कभी नही रोना.........
कौन कहता है कि रोना हमें पसंद है
....
दर्द देनेवाली हर छोटी बात
मेरे लिए एक बड़ी बात है
जो मेरे जेहन से होकर दिल को छूती है
और दुख के दरिया में आंसूओं का सागर
मेरे चेहरे पर आ मिलता है......
वाह वाह - छोटी सी रचना के माध्यम से आपने भावों की गागर उड़ेल दी, अति संवदेनशीललेकिन सत्य - कोई समझता है कोई नहीं - आभार.
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