सोमवार, 31 अगस्त 2009

दिल चाहता सिर्फ एकांतवास

वैसे हमें खुद को वक्त देना पसंद है....लेकिन इसका मतलब ये नहीं...महफिल से दूर भागते हैं...एकांत में रहने से मन को जो सूकुन मिलता है...उसकी बात ही कुछ और है...लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है  ..हम परेशान हो जाते हैं...और  लगता है... ये दुनिया ,ये महफिल मेरे किसी काम की नहीं... लेकिन अक्सर सोचती हूं ...कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जो एकांत में ही रहना चाहते हैं... रंग बिरंगी दुनिया को छोड़कर.....बस उन्हीं सोच को लफ्जों में उतारने की एक कोशिश )

सोचने को मजबूर हूं मैं
क्यों कोई जानबूझकर वो राह चुनता है
जहां हो सिर्फ अकेलापन
क्या होती होगी उनकी मजबूरी
जहां जिंदगी लगने लगती है अधूरी

शायद उन राहों में ही पूरी होती है
उनकी खुशियों की तलाश
तू भी तन्हाई के रंग में डूब तन्हा हंस ले, रो ले
इस रंग को भी एक बार जी करके देख ले

जिंदगी कहते हैं इसी को
जहां है कभी सुख तो कहीं है दुख
कभी होती है महफिल की तलाश
तो दिल चाहता है सिर्फ ‘एकांतवास'

अक्सर लोग कहा करते हैं
जिंदगी बदल गई है मेरी
 बदल गए सारे जज्बात
लेकिन ‘एंजेला’ जिंदगी बदलती नहीं
बदल जाते हैं तो बस हालात ।

4 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

जब प्यार मे होते हो एकांत बहुत ही अच्छा लगता ......और क्या कहे .....

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत सुन्दर लाजवाब रचना,।

Unknown ने कहा…

बात संजीदा है
मामला गहरा है..........
मगर क्या करें
ज़माना बहरा है..........

________ये सिर्फ़ दूर के ढोल सुनता है
________यानि मतलब के बोल सुनता है

ऐसे में आपके जज़्बात असर करते हैं
जिनमे मुहब्बत के बोल बसर करते हैं

_______बधाई...........उम्दा रचना के लिए !

Fauziya Reyaz ने कहा…

sahi kaha zindagi nahi haalaat badal jaate hain...